जैसा कि आपको पता है कि 11 मार्च को सुप्रीमकोर्ट ने SBI की समय सीमा बढ़ाने वाली याचिका को खारिज कर दि थी साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया था की SBI 12 March को कामकाजी घंटे खत्म होने तक Electoral bond की सारी जानकारी चुनाव आयोग को सोप दे
इसके बाद SBI ने 12 मार्च मंगलवार को Electoral Bond कि सारी जानकारी चुनाव आयोग को भेज दिया है
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच बैंचो की बैठक में यह निर्णय लिया गया है चुनाव आयोग भी SBI से मिला सारी जानकारी को 15 मार्च तक अपनी ऑफिशल वेबसाइट पर शाम 5:00 बजे तक डालने का आदेश दिया है
इसलिए अब चुनाव आयोग को भी SBI से मिली सारी जानकारी को अपनी ऑफिशल वेबसाइट पर 15 मार्च शाम 5:00 बजे तक डालना होगा
कोर्ट ने SBI को नोटिस देते हुए कहा की 26 दिनों तक क्या किया कोर्ट ने 15 फरवरी को आदेश दिया अब तक पालन क्यू नही किया गया कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा अब अगर उसके निर्देशों और समय सीमा को पालन करने में विफल रहता है तो कोर्ट अपने 15 फरवरी के फैसले नहीं मानने के कारण कोर्ट उस पर कार्रवाई कर सकता है
क्या है विवाद Electoral Bond पर
दरसल Electoral Bond पर Congress नेता ज्या ठाकुर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और NGO association democratic reforms समेत चार लोगों ने याचिका दाखिल की! याचिका दाखिल करने वाले लोगों का कहना है कि Electoral Bond गुपचुप Funding मै परदाशिता को परभावित करती है यह सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करती है उसका कहना था की सील कंपनियों की तरफ से भी दान देने की अनुमति दी है Electoral Bond पर सुनवाई पिछले साल 31 October को शुरू हुई थी
Electoral Bond क्या है और चर्चा में क्यू है
दरसल भारत सरकार ने Electoral Bond की घोसना 2017 मे कि थी इस योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को लागु कर दिया था इसको आसान भाषा में समझे तो Electoral Bond राजनीतिक पार्टी को चंदा देने का एक आसान वित्तीय जरिया है Electoral Bond की अवधि केवल 15 दिनो कि हाेती हैं जिसके दौरान इसका इस्तेमाल सिर्फ जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत रजिस्टर राजनीतिक दलो को दान ( चंदा ) देने के लिए किया जा सकता है
Electoral Bond किसे मिलता है
देश में जितने पंजीकृत राजनीतिक दल है उन्हें यह Bond मिलता है लेकिन इसके लिए शर्त ये है की उस पार्टी को पिछले आम चुनाव में कम से कम 1 फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिले हो सरकार में मुताबिक Electoral Bond के जरिए ब्लैकमनी पर अंकुश लगेगा और चुनाव में चंदे के रूप में दिए गए रकम का हिसाब किताब रखा जा सकेगा इससे चुनावी फंडिग में सुधार होगा ! केंद्र सरकार ने अपने जवाबी हालकनामा में कहा है की चुनावी बॉन्ड पारदर्शी है
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